01/07/2022
तुर्क भारत आए और शासन किए
जिम्मेदार कौन ? राजपूत
हूण, शक आए
जिम्मेदार कौन ? राजपूत
मुगल आए, शासन किए
जिम्मेदार कौन ? राजपूत
अंग्रेज आए, शासन किए
जिम्मेदार कौन ? राजपूत
भारत स्वतंत्र हुआ (हालांकि स्वतंत्र क्या कहें! किसी और के हाथ से परोक्ष रूप से किसी और के हाथ में गया)
इसी दौर में साहित्य में ठाकुरों को विश्व में सबसे ज्यादा प्रताड़ना देने वाला सिद्ध किया गया, प्रेमचंद ने तो बाकायदा ‘ ठाकुर का कुंआ ’ लिख कर यह बताने की कोशिश की , कि ठाकुरों जैसा निर्मम कोई नहीं।
लेकिन यह नहीं बताया कि शाम को जब ठाकुर साहब गांव घूमते थे तो ये जरूर देखते थे कि किसके आंगन से धुंआ नहीं निकल रहा है, यदि धुंआ निकलता नहीं दिखता तो जरूर उसके यहां आग और खाने का प्रबंध करवाते थे खैर, आगे चलकर बॉलीवुड ने तो यह सिद्ध ही कर दिया की ठाकुर इस धरा पर केवल अत्याचार के लिए जन्मे हैं।
पहले राजनीति में हमारे प्रतिनिधित्व को कम किया गया फिर जमींदारी एबोलिशन, प्रीवीय पर्स की समाप्ति, लोकतंत्र की दुहाई देकर हमारे मनोबल को धूल धूसरित किया गया।
सोशल मीडिया का जमाना आया इसमें तो अति ही कर दी गई, जमकर टारगेटेड रूप में हमें गालियां दी गई, कुछ ने प्रत्यक्ष रूप से हमारे चीर – हरण पर आनंद लिया तो कुछ ने अप्रत्यक्ष रूप से इसे बढ़ावा दिया, जोधा अकबर जैसी अनगिनत फेंक कहानियां लोगों के समक्ष परोसी गईं, समधी - साढू का रिश्ता बताकर खूब चटकारे लिए गए , बारी बारी से हमारे योद्धाओं को पराजित घोषित किया गया और जो विजेता थे उनकी जाति ही बदलने की कोशिश की जा रही है।
कुल मिलाकर हमें सबसे घृणित और कायर घोषित किया गया !
तो मेरा निवेदन है कि हमें कायर और डरपोक ही रहने दें, लोकतंत्र में हमारे युवाओं को आगे आकर पढ़ाई लिखाई करने दें क्योंकि न हमारे पास रहने के लिए जमीन बची है और न ही अनाज उपजाने के लिए खेत, आपको खुद के बच्चों को तो कलेक्टर बनाना है और कलेक्टर न भी बन पाया तो सेटिंग ऐसी है कि उसी दफ्तर में बाबू तो बन ही जायेगा, और यहां तो बाबूसाहब लोग न पढ़ाई लिखाई में ही जा पाए और न ही अपनी संपत्ति बचा पाए, मानसिक गुलाम अलग बन गए।
लोकतंत्र में सक्षमता आप लोग की है , राजस्थान जैसे क्षत्रिय बाहुल्य राज्य में आप लोगो ने विप्र बोर्ड तक बनवा लिया ,आपके सामर्थ्य के आगे क्षत्रिय नगण्य हैं, इसलिए आप अपनी ऊर्जा समय और सामर्थ्य हमे गाली देने में नाहक व्यर्थ न करे, उठें पौरुष का पर्याय बने, पुरुषत्व कोई राजपूतों की जागीर थोड़े है, पुरुष तो आपके भी कमजोर नहीं होंगे, पूरी ताकत से चाहे गरियाइये चाहे ललकारिये लेकिन अब जंग लगी तलवारों को छोड़ इनको चमकाइए हमारे समाज की शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
अजीत सिंह
#राजन्य_क्रॉनिकल्स_टीम