
22/05/2025
चाँदनी रात और दो परिंदे
चाँदनी रात, सितारों का मेला,
गुलाबों के बीच, खिला है अलबेला।
शाख पर बैठे, दो नन्हें परिंदे,
प्रेम की डोरी से, बंधे हैं अनमिंदे।
चमकते तारे, जैसे स्वप्न सजाते,
उनकी आँखों में अनगिनत खुशियाँ जगाते।
चहकती बातें, प्यार का तराना,
इस रात का हर कोना है सुहाना।
हवा में महक, फूलों की मिठास,
चुपके से कहे, दिलों की बात।
सितारे झुके, पास आ गए,
दो परिंदों के प्रेम में खो गए।
प्रेम की ये रात, चिरंतन कथा,
स्वप्नों में सजती, एक अनमोल व्यथा।
परिंदों का गीत, चाँदनी का साथ,
सजाता है मन, अनगिनत एहसास।